Tuesday 1 April 2014

किसे पीएम बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं नीतीश

किसे पीएम बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं नीतीश 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 दलों के साथ मिलकर जो वैकल्पिक मोर्चा बनाया था, वह बनने से पहले ही बिखर चुका है। भाजपा से हाथ छुड़कार नीतीश कुमार जिन दलों का साथ पाने के लिए दिल्ली तक दौड़े थे, वे सब उन्हें अकेला छोड़ गए हैं। बिहार में केवल भाकपा के साथ मात्र दो सीटों पर जद-यू का समझौता हो सका । वामदलों में प्रमुख माकपा ने उनसे हाथ नहीं मिलाया। नीतीश कुमार अपनी बेलगाम महत्वाकांक्षा के चलते अंतत: अकेले रह गए हैं।

शनिवार 29 मार्च के अंक में एक अगेजी दैनिक ने नीतीश कुमार के अलग-थगल पड़ने पर संपादकीय लिखा है। इसमें नीतीश कुमार के लिए ''अप द क्रीक विदाउट ए पैडल'' (संकट में अकेला) जैसे मुहावरे का प्रयोग किया गया है। चुनावी सभाओं में वे सिर्फ भाजपा पर अनर्गल टिप्पणी कर रहे हैं, कांग्रेस पर नहीं। उन्हें घोषणा करनी चाहिए कि वे कांग्रेस और राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे। यदि नीतीश कुमार कांग्रेस के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे हैं, तो क्या इसे साठगांठ नहीं माना जाएगा घ् उन्हें जवाब देना चाहिए कि वे किसको प्रधानमंत्री बनवाने के लिए बिहार की जनता से वोट मांग रहे हैं।

भाजपा-विरोध जैसी नकारात्मकता और प्रधानमंत्री बनने की दमित महत्वाकांक्षा रखने वाले 14 नेता चौथा या वैकल्पिक मोर्चा बनाने चले थे। नीतीश कुमार समेत मोर्चे का हर नेता खुद को जोड़-तोड़ से पीएम बनते देखना चाहता था। जल्द ही ऐसे मंसूबे बिखर गए।


तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक की नेता और मुख्यमंत्री जयललिता ने वाम दलों से समझौता किया और चंद रोज बाद उसे तोड़ दिया। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा ने भी मोर्चे को झटका दे दिया। मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार न देने का फैसला सुनाकर गैरकांग्रेसवाद से दूरी बना ली। नीतीश कुमार गैरकांग्रेस-गैरभाजपा दलों का मंच बनाने चले थे, लेकिन वह मंच या तो टूट गया या सिर्फ भाजपा-विरोध तक सिमट गया। नीतीश के सपने हवा हो चुके हैं। राजनीतिक अकेलेपन में वे भाजपा पर अपनी खीझ उतार रहे हैं।

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