Thursday 24 April 2014

आने वाली पीढि़यां नीतीश कुमार से भी पूछेंगी सवाल

देश में कभी नेहरू को, तो कभी इंदिरा गांधी को 'भारत' बताने की कोशिश की गई, अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को ही बिहार बताने का भावुक प्रयास कर रहे हैं। वे कहना चाहते हैं कि जो लोग उनकी पार्टी को वोट नहीं देंगे, वे सब बिहार-विरोधी हैंं। उनका दावा है कि बिहार का विकास सिर्फ उन्हीं की बदौलत हुआ है, इसलिए जो व्यक्ति जदयू को वोट नहीं देगा, वह इस मिट्टी का कर्जदार हो जाएगा।

सच्चाई जनता जानती है। नीतीश कुमार को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनवाया। जदयू के साथ साझा सरकार में रहते हुए भाजपा के मंत्रियों ने प्रदेश को बीमारू राज्य के गड्ढे से निकालने में बढ़-चढ़ कर काम किया। पार्टी के ठोस समर्थन और भाजपा मंत्रियों वाले विभागों में बेहतर प्रदर्शन की बदौलत बिहार सबसे तेज विकास दर हासिल कर पाया।

अगर सब कुछ अकेले मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी की वजह से ही हुआ, तो भाजपा के सरकार से हटते ही विकास ठप्प क्यों पड़ गया? हत्या-बलात्कार जैसे अपराध के 2013 के आंकडे 2005 के आंकड़ाें को पार क्यों कर गए? जदयू शासन के नौ माह में ही सुशासन तार-तार क्यों हो गया? बोधगया से पटना तक सीरियल धमाके क्यों होने लगे? 

आने वली पीढियां यह भी पूछेंगी कि निजी महात्वकांक्षा के लिए 10.38 करोड लोगों के इस प्रदेश को राजनीतिक- प्रशासनिक रूप से पंगु क्यों बना दिया गया? जिस व्यक्ति को एनडीए के नेता की हैसियत से चुना गया था, वह नया जनादेश लिए बिना तीसरा-चौथा मोर्चा क्यों बनाने लग गया? अचानक कार्यकाल के बीच में गठबंधन तोड़कर पीएम बनने के सपने क्यों देखे जाने लगे? क्यों उसी लालू प्रसाद के मनोबल बढ़नो की जमीन तैयार की गई, जिनके 15 साल के राजकाज में बिहार को बुरे दिन देखने पड़े थे?

आने वाली पीढि़यां नीतीश कुमार से भी सवाल पूछेंगी। जमाना सिर्फ वही सवाल नहीं पूछता जो आप चाहते हैं। मुख्यमंत्री सवालों से परे नहीं होता।

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