राहुल ने किया लालू समर्थकों का अपमान
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पहली अप्रैल को बिहार के औरंगाबाद में आयोजित चुनावी सभा में सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मतदाताओं को अपमानित किया। उन्होंने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ मंच शेयर करने से तो पहले ही मना कर दिया था, सभा में लालू प्रसाद का नाम तक नहीं लिया।
कांग्रेस बिहार में राजद का आधार वोट पाने की उम्मीद में 12 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन इसके मतदाताओं को तिरस्कृत करती है। राहुल गांधी ने अपनी सभा में राजद प्रत्याशियों का समर्थन करने की कोई अपील भी नहीं की।
राहुल गांधी के इस व्यवहार के बाद राजद के मतदाता उन क्षेत्रों में कांग्रेस का विरोध कर सकते हैं, जहां पार्टी ने गठबंधन के तहत उम्मीदवार उतारे है। औरंगाबाद की सभा से यह भी जाहिर हुआ कि यूपीए ऐसा गठबंधन है, जिसमें सहयोगी दल की कोई इज्जत नहीं।
दूसरी तरफ भाजपा नेतृत्व वाले एन.डी.ए. में शामिल हुए दलों और उनके नेताओं का पूरा सम्मान किया गया। भाजपा के पी.एम. प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी की सासाराम रैली के मंच पर रामविलास पासवान और गया की रैली में उपेन्द्र कुशवाहा उपस्थित थे।
लालू प्रसाद ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात का बढ़-चढ़ कर समर्थन किया, लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उनके सम्मान का ध्यान नहीं रखा। इससे राजद के समर्थकों को झटका लगा है। वैसे भी, यह वर्ग परंपरागत रूप से कांग्रेस के विरूद्ध रहा है।
लालू प्रसाद परिवार मोह से लेकर चारा घोटाला तक की कानूनी मजबूरियों में इस तरह घिर गए हैं कि अब उन्हें न गरीबों के अपमान की चिंता है और न वे गरीब के बेटे को पीएम बनाने की बात करते हैं। कांग्रेस से हाथ मिलाकर तो वे एक गरीब परिवार से उभरे नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने का विरोध ही कर रहे हैं।
राजद के मतदाताओं को सोचना चाहिए कि क्या वे अपने नेता और समुदाय को आहत करने वाले राहुल गांधी को पी.एम. बनाना पसंद करेंगे घ् मतदाता के रूप में उन्हें अपना उत्तर वोट के जरिये देना चाहिए।
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