Tuesday 1 April 2014

मोदी से घबराहट और हताशा, कांग्रेस की बिगड़ी भाषा

मोदी से घबराहट और हताशा, कांग्रेस की बिगड़ी भाषा

भाजपा सोलहवीं लोक सभा का चुनाव विकास खुशहाली और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर लड़ना चाहती है, लेकिन कांग्रेस, जदयू और राजद सोची समझी रणनीति के तहत मुख्य मुद्दे से जनता का ध्यान हटाना चाहती है। सहारणपुर (उत्तर प्रदेश) से कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद का भड़काऊ बयान इसी का नतीजा है। भाजपा के PM प्रत्याशी नरेन्द्र भाई मोदी की हत्या की धमकी देना और निहायत घटिया भाषा का इस्तेमाल करना कांग्रेस के बढ़ती हताशा का सूचक है। कांग्रेस साम्प्रदायिक ध्रुविकरण चाहती है ताकि लोग भ्रष्टाचार, महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मसलों पर गुस्सा ज़ाहिर करना भूल जायें।

दस साल के कुशासन की वजह से कांग्रेस जनता के बीच कठघरे में खड़ी है, लेकिन बिहार में उसकी हमदर्द पार्टियां (राजद व जदयू) कांग्रेस पर कोई हमला नहीं कर रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी कांग्रेस की मंशा के अनुरूप साम्प्रदायिक ध्रुविकरण की राजनीति को हवा दे रहे हैं। उनके निशाने पर कांग्रेस नहीं, बल्कि भाजपा और इसके नेता नरेन्द्र मोदी हैं।
यह कितना दु:खद है कि जिस चुनाव में 11 करोड़ युवा मतदाता ''विकसित भारत और मज़बूत भारत'' के सपने सच करने वाली सरकार को चुनना चाहते हैं, उसमें कांग्रेस, राजद और जदयू साम्प्रदायिकता के घिसे-पिटे मुद्दे को उछालना चाहते हैं।

युवा सपनों का साथ देते हुए गत 27 अक्टूबर, 2013 को नरेन्द्र मोदी ने पटना की हुँकार रैली में ज़ाेर देकर कहा था कि गरीब हिन्दू और गरीब मुसलमान को मिलकर गरीबी से लड़ना है, आपस में नहीं। दूसरी तरफ कांग्रेस मोदी लहर से घबराकर समाज को तोड़ने वाले मुद्दे उछालने से बाज़ नहीं आ रही है।

लोकतंत्र में ''मौत का सौदागर'' कहने और ''बोटी बोटी काटने'' जैसी भाषा का इस्तेमाल करने वालों को लोग कभी माफ नहीं करेंगे।

2014 का लोक सभा चुनाव लोकतंत्र को कलंकित करने वालों का भी इतिहास लिखेगा। ऐसे लोग इतिहास के कूड़ेदान में होंगे।

2 comments:

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  2. जी सर आपने सही लिखा कांग्रेस की हमदर्द पार्टियां (राजद व जदयू) कांग्रेस पर कोई हमला नहीं कर रही हैं। वो इस तरह से व्यहार कर रही हैं मानों बीते दस सालों से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हो। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी कांग्रेस की मंशा के अनुरूप साम्प्रदायिक ध्रुविकरण की राजनीति को हवा दे रहे हैं। उनके निशाने पर कांग्रेस नहीं, बल्कि भाजपा और इसके नेता नरेन्द्र मोदी हैं। जबकि उनके निशाने पर सत्ताधारी दल होना चाहिए आखिर नरेंद्र मोदी में ऐसा क्या है जो इन्होने उन्हें निशाने पर ले रखा है ? स्वयं भू सेकुलर नेता नीतीश बाबू को ये नहीं भूलना चाहिए कि उनके यहाँ पर अल्पसंख्यों की स्थिति क्या है ? बीते बारह सालों में गुजरात के किसी भी क्षेत्र में धारा 144 लगाने की जरुरत नहीं पड़ी है।

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