Friday 25 April 2014

लालू प्रसाद अब तक क्यों नहीं लगवा सके आर.एस.एस. पर प्रतिबंध?

(सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत का कर रहे हैं दुरूपयोग)

चारा घोटाले में सजायाफता लालू प्रसाद यूपीए-1 में मंत्री रहे और कांग्रेस में मिले तिरस्कार के बावजूद यूपीए-2 का समर्थन करते रहे। केंन्द्र की सत्ता के साथ रहते हुए विगत दस साल में भी वे आर.एस.एस. (राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर रोक क्यों नहीं लगवा सके? अब चुनाव के समय वे एक देशभक्‍त संगठन को बदनाम कर रहे हैं। कांग्रेस के कुशासान और भ्रष्टाचार के प्रति गुस्से से ध्यान बंटाकर मतदाताओं के एक वर्ग को वोट-बैंक में बदलने के लिए भाजपा और संघ का डर पैदा किया जा रहा है।

लालू प्रसाद बार-बार कह रहे हैं कि यूपीए सत्ता में आया तो आर.एस.एस. पर प्रतिबंध लगाया जाएगा और गुजरात दंगे की जांच फिर से कराई जाएगी। सवाल यह है कि यूपीए सरकार 10 साल में ऐसा क्यों नहीं कर सकी? लालू प्रसाद चारा घोटाला में दोषी पाये जाने के चलते मुखिया और पार्षद तक का चुनाव लड़ने के लायक नहीं हैं लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति के चलते संघ पर रोक लगाने की बात कर रहे हैं। 

आजाद भारत में सबसे ज्यादा दंगे कांग्रेस शासन में हुए। भागलपुर का दंगा भी कांग्रेस शासन में हुआ। यूपीए के इस दाग को छिपाने के लिए सिर्फ गुजरात के दंगे की दुराग्रहपूर्ण चर्चा की जाती है। गुजरात दंगों के मामले में न्यायालय के क्लीन चिट के बावजूद चारा घोटले में सजायाफ्ता और जमानत पर छूटे लालू प्रसाद गुजरात दंगे संबंधी न्यायिक फैसले पर सवाल उठाकर अदालत का अपमान कर रहे हैं। समाज के जख्म हरे रखना और राजनीतिक फायदे के लिए न्यायालय के फैलसे पर सवाल उठाना क्या अदालत का अपमान नहीं है? अगर अपराधी चुनाव नहीं लड़ सकता, तो क्या जमानत की अवधि में उसे चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की इजाजत मिलनी चाहिए? क्या इस पर चुनाव आयोग को संज्ञान नहीं लेना चाहिए? इन बडे़ सवालों का जवाब जनता अपने भारी मतदान से ही दे सकती है।

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