Friday 4 April 2014

चुनावी फायदे के लिए उग्रवाद पर नरम रहे लालू-नीतीश

जब सरकार का मुखिया सिर्फ कुर्सी बचाने के नजरिये से काम करता हैं, तब कई तरह की समस्याएॅं आती हैं। बिहार में बढ़ती नक्सलवादी हिंसा भी उग्रवादियों के प्रति सरकार के नरम रूख का परिणाम है। यह नरमी चुनाव में मदद पाने के लिए बरती जाती रही है। जनता दल (यू) के एक प्रत्याशी से नक्सलियों की सांठ-गाठ का खुलासा करने वाली सी.आर.पी.एफ. की रिपोर्ट तो सिर्फ एक उदाहरण है।

बिहार के लगभग सभी 38 जिले नक्सली उग्रवाद की चपेट में आ चुके हैं। पहले लालू-राबड़ी की सरकार और अब नीतीश कुमार की सरकार चुनावी फायदे के लिए हिंसा में यकीन रखने वाले माओवादियों से नरमी बरतती रही है। लोकसभा के इस चुनाव में एक नहीं, जद-यू और राजद के कई प्रत्याशियों को नक्सली संगठन मदद दे रहे हो सकते हैं। चुनाव आयोग को इस मुददे पर समुचित पहल करनी चाहिए।

इससे पहले केन्द्रीय गृह मंत्रालय बिहार को नक्सली समस्या के समाधान में समन्वय के अभाव को लेकर सावधान करता रहा है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न राज्यों में माओवादी हिंसा की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन बिहार में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश में गृह विभाग का भी कार्य संभालते हैं, इसलिए उन्हें जवाब देना चाहिए कि नक्सली उग्रवाद रोकने में उनकी सरकार का रिपोर्ट कार्ड इतना निराशाजनक क्यों है।

पिछले साल बिहार पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने स्वीकार किया था कि सी.आर.पी.एफ. में भी ऐसे लोग हैं, जो नक्सली संगठनों से रि’ता रखते हैं। पुलिस प्रशासन और सत्तारूढ़ दल के लोगों से माओवादियों के मधुर संबंध होना राज्य में उग्रवाद रोकने में बाधक है। जब तक चुनावी फायदे के लिए उग्रवादियों से हमदर्दी रखी जाएगी, लेवी वसूली के नाम पर विकास के काम ठप किये जाते रहेंगे, बच्चों के स्कूल डायनामाइट से उड़ाए जाते रहेंगे और निर्दोष नागरिक ट्रेन-बस या गांव में मारे जाते रहेंगे। जद-यू और राजद बतायें कि लाल-उग्रवाद से उनकी दोस्ती का रंग किसके खून से गाढ़ा हुआ है।

2 comments:

  1. what formula do u have to resolve above noted problematic issues.

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  2. How could you solve the problem mr Modi, also tell me what security government going to provide to the common government employees who have been given election duty even women employees in most affected maosist areas of Bihar and Jharkhand. Whose going to take accountibility of their security ??

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