Saturday 26 April 2014

नीतीश राज में बदहाल हुई कानून-व्यवस्था


(सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी, महिलाएं और असुरक्षित)

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 25 अप्रैल को टिप्पणी की कि बिहार में कानून-व्यवस्था दयनीय स्तर पर है। न्यायालय ने राज्य सरकार के पुलिए महानिदेशक से पूछा है कि बलात्कार का आरोपी खुला कैसे घूम रहा है? अदालत की इस टिप्पणी और कानून-व्यवस्था की बदहाली के लिए सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं। उन्हाेंने भाजपा से नाता तोड़कर बिहार को फिर से अराजकता के दौर में पहुंचा दिया है।

जब तक भाजपा बिहार सरकार में शामिल थी, तब-तक सुशासन सरकार की यूएसपी (खासियत) थी। प्रदेश में भयमुक्त वातावरण बना रहा। निवेशक उद्योग-व्यापार में रूचि लेने लगे थे, लेकिन नीतीश कुमार ने अहंकार के चलते गठबंधन तोड़ा और हालात लगातार बिगड़ते चले गए। उग्रवादी हिंसा और आतंकी धमाके तो बढ़े ही, हत्या-बलात्कार की घटनाएं भी बढ़ने लगीं।

बिहार पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2007 में 2963 हत्याएं हुईं, जबकि भाजपा के सरकार से हटने के बाद 2013 में 3441 लोग हत्या के शिकार हुए। शासन की कमजोरी के चलते जो 478 अधिक बिहारी अपने ही राज्य में मारे गए, उसके लिए जिम्मेवार कौन है? मुख्यमंत्री बताएं कि हत्या के आंकड़े घटने की बजाए 478 बढ़ क्यों गये? राज्य को महिलाओं के लिए अधिक भयावह क्यों बना दिया गया? 2010 में बलात्कार की घटनाएं 795 दर्ज की गईं, लेकिन 2013 में बलात्कार की घटनाएं 1128 तक पहुंच गईं। पहले की अपेक्षा 333 अधिक महिलाएं बलात्कार का शिकार बनीं। सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी बलात्कार की घटना के संदर्भ में हैं।

अपराध की ये घटनाएं नीतीश कुमार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते टूटे गठबंधन और कमजोर सरकार के कारण बढ़ी है। भाजपा बिहार को कुशासन के पुराने दौर में लौटने नहीं देगी। पार्टी का संघर्ष नीतीश कुमार और लालू प्रसाद दोनों से है।

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