Wednesday 7 May 2014

लालू का भरोसा 'हड़काओ संस्कृति' में

गठबंधन तोड़कर नीतीश ने बढ़ाया दुस्साहस

राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने फिर साबित किया कि वे जनता की अदालत में खारिज किये जाने के बावजूद सुधरे नहीं हैं। अपनी पार्टी के 15 साल के कुशासान से बिहार को चौपट करने वाले लालू प्रसाद केन्द्र में भी नकारा शासन के 15 साल पूरा कराने के लिए जनता को हड़का कर वोट लेना चाहते हैं। 'हड़काओं संस्कृति' में उनका विश्‍वास पक्का है। सोनपुर में राबड़ी देवी के प्रचार वाहनों की जांच रूकवा कर उन्होंने हड़काओ संस्कृति का परिचय दिया।

लालू प्रसाद की राजनीति बिहार के पिछड़ने का बड़ा कारण है। वे सत्ता में पार्टी और परिवार की वापसी के लिए किसी भी हद तक नीचे जा सकते हैं। अपनी बेटी की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में रीतलाल यादव जैसे कुख्यात अपराधी से हाथ मिलाया। उन्होंने कई मामलों के अपराधी और बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से जेल जाकर भेंट की। शहबुद्दीन के जरिये राजनीति का अपराधीकरण और अपराध का संप्रदायीकरण करने से भी लालू प्रसाद ने कभी परहेज नहीं किया। अब वे शहाबुद्दीन की पत्नी की जीत चाहते हैं, ताकि राजनीति में अपराध को संरक्षण देने वाली ताकतें सलामत रहें।

चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद और हत्या समेत अनेक मामलों में सजायाफ्ता शहाबुद्दीन का साथ आना लोकतांत्रिक व्यवस्था को लूटने का आपराधिक गठजोड़ रहा है, दो सामुदायों की भलाई और तरक्की से इसका कोई वास्ता नहीं। इसी समीकरण के नाम पर जनता को 15 साल तक बरगलाया गया कानून-व्यवस्था ध्वस्त कर दी गई थी। लोग शाम के बाद घर से निकलना नहीं चाहते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री के इशारों पर शो-रूम से गाडि़यां उठा ली जाती थीं। क्या लालू प्रसाद फिर उस दौर की वापसी के लिए वोट मांग रहे हैं ?

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