Wednesday 14 May 2014

बिहार में कटुता को भुलाकर सहयोग की राजनीति से आएंगे अच्छे दिन


लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान विरोधियों पर कटाक्ष, तीखी आलोचना और टकराव का जो दौर था, वह अब बीत चुका है। 16 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद केंद्र में नई सरकार के साथ नई शुरुआत होने वाली है। बदले माहौल में चुनावी कटुता को भूल कर बिहार के विकास के लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए और नई सरकार को पूर्वाग्रहमुक्त सहयोग देना चाहिए।

प्रचार के दौरान भाजपा के पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को कसाई और जल्लाद कहा गया। उनकी गरीबी और चाय बेचने के उनके मेहनतकश पेशे का मजाक भी उड़ाया गया। इसके बावजूद बिहार की जनता ने उनके नेतृत्व में विश्वास व्यक्त किया है। उनकी सभाओं में लाखों लोग आये। विरोधियों ने जितना द्वेष प्रकट किया, नमो के प्रति उतना आदर बढ़ा।


चुनाव में आक्रामक शब्दों का प्रयोग हुआ। एक वर्ग को दंगे का भय दिखाकर भाजपा-विरोधी मतों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिश की गई। हाल के वर्षों में बिहार दंगामुक्त रहा, फिर भी सांप्रदायिकता के मुद्दे को तूल देने से लोग बाज नहीं आए। इस तरह के उकसावे के बावजूद भाजपा ने हमेशा सबका साथ, सबका विकास के नारे पर जोर दिया। नरेंद्र मोदी ने बिहार समेत सभी पूर्वी राज्यों को देश के विकसित पश्चिमी राज्यों के समान विकसित करने पर जोर दिया है। उनकी संभावित सरकार से बिहार की बहुत सारी अपेक्षाएं हैं। उन्होंने बिहार का कर्ज उतारने का वादा किया है। इसका लाभ तभी मिलेगा, जब सब लोग चुनावी प्रतिद्वंद्विता और रंजिश को भुलाकर बिहार के विकास के लिए साथ आएं। श्रेय लेने की होड़ छोड़ कर नई सरकार का सहयोग करने से ही अच्छे दिन आएंगे। भाजपा ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए काम करने का संकल्प व्यक्त किया है। बिहार को विकसित किये बिना भारत को श्रेष्ठ  नहीं बनाया जा सकता। 16 मई देश में विकास के सूर्य के उत्तरायण होने की तिथि है। इसे परस्पर सहयोग की संक्रांति बनाना आवश्यक है।

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